बिहार के अररिया के अलावे भागलपुर और कटिहार में भी धाराशाही हो गया था निर्माणाधीन पुल .कांग्रेस ने अपने सोशल साईट पर अररिया के पुल गिरने पर कह दी बड़ी बात [
अररिया का धराशाही हुआ पुल
बिहार के अररिया में उद्घाटन से पहले पुल के गिर जाने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं ,यही नही जिस कंपनी के द्वारा इस पुल का निर्माण किया गया था उन्हने गुणवत्ता का ख्याल नही रखा या फिर कोई और वजह थी जिस कारण पुल का निर्माण करने वाली कंपनी गुन्वात्ताओ को ध्यान में नही रख पाई ,किया उसकी वजह भ्रष्टाचार है या फिर अधिकारियो को मिलने वाले कमीशन है ऐसे कई सवाल अब खड़े हो रहे है ? बिहार में ये पहली घटना नही है इससे पहले भागलपुर में अगुवानी पुल ध्वस्त हो गया था। जिसको लेकर खुब राजनीति हुई थी,उसके बाद कटिहार के बरारी विधानसभा के पश्चिमी बारीनगर पंचायत के मरघैया में निर्माणाधीन पुल धाराशाही यानी धरधरा कर गिर गई ,लेकिन उसके बावजूद इसके सरकार ने उस घटना से सीख नहीं ली और एक बार फिर करोड़ो की लागत से बनकर तैयार हुआ एक पुल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया।
कब और कैसे हो गई पुल धराशाही ,जानिये
जानकारी के मुताबिक बीते मंगलवार को अररिया जिले के सिकटी प्रखंड में बकरा नदी पर बनकर तैयार पुल उद्घाटन से पहले ही ध्वस्त हो गया। बीते मंगलवार दोपहर ढाई बजे नेपाल से नदी में पानी बढ़ने के बाद हल्के बहाव के कारण पुल धराशायी हो गया। बताया जाता है की इस पुल का निर्माण 31 करोड़ की लागत से की जा रही थी [ इस पुल का निर्माण तीन चरणों में हुआ था। इस पुल के निर्माण से सिकटी और कुर्साकांटा के दर्जनों गांवों की लगभग दो लाख से अधिक की आबादी को लाभ मिलता। ये पुल 2021 में पुल तैयार हुआ। लेकिन, एप्रोच पथ नहीं बन पाया था जिस कारण पुल का उद्घाटन नही हो सका था [ बताया जाता है की नदी की धारा को मोड़ कर पुरानी धारा में लाने का काम होना था। इस कारण पुल का उपयोग नहीं हो रहा था।
घटना के बाद कांग्रेस अपने सोशल मीडिया का कर रही टिपण्णी
बिहार के अररिया में पुल के धाराशाही होने के बाद कांग्घरेस की सोशल मीडिया टीम ने विडियो शेयर करते हुए इसपर कड़ी टिपण्टणी की है,और कहा है की “फलाने की गारंटी थी, न खाऊँगा-न खाने दूँगा। सही भी है, बिहार में डबल इंजन सरकार ने वो कार्रवाई की है ‘खाने वालों’ पर कि पुल भी सकते में आ गया। कई दिनों से ख़ौफ़ के साए में था, आज आख़िरकार पुल ने नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली। आपकी जानकारी के लिए बता दें“
पुल के ध्वस्त होने के बाद सरकार की नींद खुली और सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन कार्यपालक अभियंता अंजनी कुमार, सहायक अभियंता वीरेंद्र प्रसाद व कनीय अभियंता मनीष कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। उच्चस्तरीय जांच के लिए चार सदस्यीय टीम का गठन किया है। वही ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने संवेदक के ऊपर एफआईआर दर्ज कराते हुए उनको काली सूची में डालने का निर्देश दिया है।