सरकारी मदरसे के अंदर प्राइवेट मदरसा चलाकर मदरसे में बच्चें के अटेंडेंस में फर्जीवाड़ा।पोषक क्षेत्र के बच्चो को छोड़ बिहार,बंगाल के बच्चे के सहारे सरकारी मदरसा।
बिहार के कटिहार के मदरसे में इन दिनों अटेंडेंस में फर्जीवाड़ा चल रहा है, जिसकी भनक अधिकारियों तक को नहीं है और यह सारा कुछ प्राइवेट मदरसा की आड़ में किया जा रहा है । प्राप्त जानकारी के अनुसार मदरसे में 5 क्लास और 8 क्लास तक में एक शिक्षक पर 20 से अधिक बच्चों को पढ़ाया जाना है वहीं स्कूलों में सरकार की सारी सुविधाएं मिलने के बाद बच्चे मदरसे नहीं पहुंचते हैं ।जिस कारण सरकारी मदरसे की कमेटी और हेड मौलवी और अन्य शिक्षक मिलकर चोरी छुपे स्कूल के समय में ही सरकारी मदरसे के अंदर एक प्राइवेट मदरसा चला रहे हैं और कटिहार के आसपास के इलाके के साथ-साथ बंगाल और अन्य जगहों से बच्चे यहां लाकर रखे जा रहे हैं जो मदरसे के हॉस्टल में रहकर ही सरकारी मदरसे के अटेंडेंस की खानापूर्ति करते देखे जा रहे हैं । जबकि सरकारी मदरसे के समय सरकारी मदरसे के अंदर किसी भी तरह के प्राइवेट मदरसा नहीं चलाई जा सकती है ,लेकिन ऐसा जिले में एक दर्जन से अधिक ऐसे मदरसे हैं जहां सरकारी मदरसे के अंदर प्राइवेट मदरसा चल रहा है और अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं है । जब अधिकारी जांच में पहुंचते हैं तो इन्हीं प्राइवेट मदरसे के बच्चों को सरकारी मदरसे में बिठाकर खाना पूर्ति कर देते हैं।
कैसे हो रहा ये फर्जीवाड़ा,जानिए।
कटिहार में नवभारत टाइम्स की टीम ने जब कटिहार के सरकारी मदरसा का जायजा लिया तो पाया कि एक दर्जन से अधिक ऐसे मदरसे हैं जहां सरकारी मदरसे के अंदर ही प्राइवेट मदरसा चल रहा है जिसमें मदरसा कादरिया नूरिया मदरसातुल उलूम हफलागंज, मदरसा अनवारूल उलूम रसूलपुर मनिहारी, मदरसा मतलब उल उलूम, मदरसा बना राघोपुर, मदरसा हसनगंज सहित ऐसे कई मदरसे हैं जहां सरकारी मदरसे के अंदर एक प्राइवेट मदरसा चल रहा है और बच्चों की उपस्थिति इन्हीं प्राइवेट मदरसा में पढ़ने वाले बच्चों से पुरी की जा रही है। यही नहीं इसमें मदरसा कमिटी,हेड मौलवी और मदरसा के शिक्षक की मिली भगत से सरकारी मदरसे के अंदर प्राइवेट मदरसा शुरू कर दिया जाता है और इस मदरसे में बिहार, बंगाल के बच्चों को लाकर पढ़ाया जाता है और मदरसे के अंदर ही हॉस्टल बनाकर बच्चों को रखा भी जा रहा है, यही नहीं सरकारी मदरसे के शिक्षक सरकारी वेतन के साथ-साथ प्राइवेट बच्चों को पढ़कर उनसे भी कमाई कर रहे हैं और जब अधिकारी जांच में जाते हैं तो इन्हीं प्राइवेट मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को सरकारी मदरसा का बच्चा दिखाकर खानापूर्ति करते हैं । जानकर हैरानी तो तब होती है जब पोषक क्षेत्र के बच्चों को छोड़कर ऐसे मदरसे में बिहार बंगाल और अन्य जिले के बच्चे पढ़ाई करते देखे जा रहे हैं।
कहते है मदरसे के हेड मौलवी और शिक्षक
-मदरसा के हेड मौलवी और शिक्षकों से इस बात की जब जानकारी ली गई तो उन लोगों ने बताया कि सरकार के द्वारा स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को सारी सुविधाएं उपलब्ध है । सरकारी स्कूलों में बच्चों को किताब ,बैग, बैठने के लिए बेंच -डेस्क ,मध्यान भोजन ,छात्रवृत्ति आदि सारी सुविधा मिलती है ।लेकिन सरकारी मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को ऐसी किसी भी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं है। किसी-किसी मदरसे में मध्यान भोजन चल रहा है और किसी-किसी में मध्यान भोजन भी पूरी तरह से बंद है ।सरकारी मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों के साथ दोहरी नीति सरकार के द्वारा की जा रही है य्याजिस कारण के बच्चे मदरसे में आना नहीं चाहते हैं अगर मदरसे को बच्चों को स्कूल की तरह सारी सुविधाएं उपलब्ध हो तो स्कूलों की तरह मदरसे में भी बच्चों की उपस्थिति अधिक हो सकती है और इसी कारण से मदरसे में प्राइवेट मदरसा भी चलाना एक मजबूरी है।
मामले पर कहते हैं अधिकारी
मामले पर कटिहार के अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी चंद्रन कुमार कहते हैं कि मदरसे में बिल्डिंग भी बन रही है जिसे लेकर कई बार मदरसे के हेड मौलवी के साथ अधिकारियों की बैठक भी की जा चुकी है। मदरसे के जमीन की कागजातों में कुछ त्रुटि होने के कारण बिल्डिंग का निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा है ,जिससे कागजातों को सुधारने के लिए मदरसे के हेड मौलवी को कहा भी गया है। जहां तक बच्चों की उपस्थिति का मामला है उसे पर भी जल्द ही जांच की जाएगी उन्होंने कहा कि मदरसा से जुड़े मामले मदरसा बोर्ड देखती है जिस कारण वह इसकी जानकारी मदरसा बोर्ड को और शिक्षा विभाग को अवश्य देंगे ताकि मदरसे की स्थिति और भी बेहतर हो सके। बहरहाल जिस तरह से मदरसे के अंदर प्राइवेट मदरसा चला कर बच्चों की उपस्थिति को लेकर फर्जीवाड़ा और खानापूर्ति की जा रही है इस पर शिक्षा विभाग को अवश्य ही संज्ञान लेने की जरूरत है।